अरबों का सिंध पर आक्रमण

अरबों का सिंध पर  प्रथम सफल आक्रमण 712  ई. में हुआ .  मोहम्मद बिन कासिम ने 712 ई. में सिंध पर सफल आक्रमण किया था। मोहम्मद बिन कासिम के सिंध पर आक्रमण करने के समय सिंध का राजा दाहिर था।अरबों की सिंध विजय का उल्लेख हमें चचनामा में मिलता है। दाहिर के पिता का नाम चच था। अरबों ने पहले भी कई बार सिंध पर आक्रमण किया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी थी।

कहा जाता है कि मोहम्मद बिन कासिम ने अपनी सिंध विजय के बाद दाहिर की हत्या करवा दी तथा उसकी दो पुत्रियों को दमिश्क की खलीफा की सेवा में भेज दिया और सिंध के 17 साल से ऊपर के सभी पुरुषों का कत्लेआम करवा दिया। सर्वप्रथम यही समय था जब जबरन मुस्लिम धर्मांतरण प्रारंभ हुआ और इस्लाम न स्वीकार करने वालों को काटा गया तथा उन पर जजिया कर लगा दिया गया।

दाहिर की पुत्रियों  खलीफा के सामने यह कहा कि मोहम्मद बिन कासिम ने उनकी कौमार्यता को भंग करने के बाद उन्हें यहां भेजा है। इस बात से खलीफा नाराज हो गया और उसने मोहम्मद बिन कासिम की हत्या करवा दी। मोहम्मद बिन कासिम खलीफा का एक वफादार एवं योग्य सेनानायक था किंतु उसका अंत अत्यधिक दर्दनाक तरीके से हुआ।

मोहम्मद बिन कासिम को क्या पता था कि जिन्हें वह रूपवान सुंदरियां समझ रहा है वही उसके विनाश का कारण बनेंगी।

बाद में जब पता चला कि दाहिर की पुत्रियों ने झूठ बोला था तो उन्हें घोड़े से बांधकर खींचवाया गया और उनका भी दर्दनाक अंत हुआ।

अरबों के सिंध पर आक्रमण करने के कई कारण हैं जिनमें प्रमुख कारण था भारत की संपत्ति को लूटना तथा इस्लाम का पूर्व की ओर प्रचार करना। इस्लाम के उदय के 100 साल के अंदर ही मुस्लिमों ने पश्चिम में सीरिया और मिस्र तक इस्लाम का प्रभुत्व स्थापित कर लिया था और वह पूर्व की ओर भी इस्लाम को प्रभावी बनाना चाहते थे तथा वे भारत की अकूत धन संपत्ति को भी लूटना चाहते थे जिसके कारण उन्होंने सिंध पर आक्रमण किया।

अरबों की  सिंध पर आक्रमण का एक तात्कालिक कारण यह भी है कि गुजरात के निकट देवल बंदरगाह के पास अरब सागर में खलीफा के कुछ जहाज जो श्रीलंका से आ रहे थे उन्हें समुद्री लुटेरों ने लूट लिया था। दमिश्क के खलीफा ने दाहिर को एक पत्र लिखकर लुटेरों के खिलाफ कार्यवाही करने और लूटे गए जहाजों के क्षतिपूर्ति के रूप में कुछ धन मांगा।

दाहिर ने खलीफा की मांग को अस्वीकार कर दिया अतः खलीफा ने मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में सिंध पर आक्रमण के लिए एक बड़ी सेना भेजी।

माना जाता है कि दाहिर सिंध का एक अलोकप्रिय राजा था।अतः सिंध के ही कुछ लोग मुहम्मद बिन कासिम से मिल गए और उन्होंने दाहिर के विरुद्ध षड्यंत्र रचा जिससे अरबों को सिंध विजय में सहायता मिली।

चचनामा की रचना अली कूफी ने 1226 ई. में फारसी में की थी। चचनामा अरबों की सिंध विजय संबंधित इतिहास के लुप्त अरबी विवरण का फारसी अनुवाद है। चचनामा एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक ग्रंथ है जिसे सिंध पर अरब विजय की जानकारी प्रदान करने का श्रेय दिया जाता है।

चचनामा में 680 से 718 ई. तक के सिंध के इतिहास का विवरण है। चचनामा का अर्थ है चर्च की कहानी। वह सिन्ध के एक हिंदू शासक थे उन्हीं के पुत्र का नाम था दाहिर जिसके काल में मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण किया था।

इस पुस्तक में राजा चच से आरंभ करके उसके उत्तराधिकारीयों का भी विवरण दिया गया है। चचनामा के अनुसार राजा चच ने किलों पर कब्जा करके, संधियों पर हस्ताक्षर करके तथा हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के जनता के विश्वास को जीतकर सिंध के एक सफल और विस्तृत राज्य की स्थापना की थी।चच के दो पुत्रों दहर (दाहिर) और दहरसिया के मध्य उत्तराधिकार का युद्ध हुआ था जिसमें दहर को सफलता मिली थी। राजा दाहिर के समय ही अरबों और सिंध के मध्य संघर्ष तेज हुआ। पुस्तक में खलीफा बालिद तथा खलीफा उमर के इतिहास का भी वर्णन है। पुस्तक के अंत में मुहम्मद बिन कासिम के पतन पर भी विस्तार से लिखा गया है।

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *