मुझे पूर्ण आशा है कि आप जल्द ही सुधर जाएंगे।
आज भी बनारस की वह गली बड़े अच्छे से याद हैं जिस दिन यदि मेरे साइकिल की गति थोड़ी कम होती तो कूड़ा नाली में न जाकर सीधे मेरे सिर पर आकर गिरा होता।किसी बहन जी ने उस व्यस्त गली का ध्यान न रखते हुए छत पर से कूड़ा बड़े लापरवाही से इस तरह छोड़ दिया था।यदि आपको लगता है कि आपके इस कार्य से फर्क नहीं पड़ता है तो कहना चाहूंगा साहब की फर्क बहुत पड़ता है। आपके द्वारा फेंका गया बादाम या केले का एक छिलका बहुत महत्व रखता है। केले का एक छिलका इधर-उधर फेंक कर आप कूड़े के ढेर को आमंत्रित कर रहे हैं। मनुष्य का यह स्वभाव होता है कि साफ स्थान पर वह गंदगी नहीं करना चाहता उसकी हिम्मत ही नहीं पड़ती है। लेकिन गंदे स्थानों पर हर व्यक्ति कूड़ा फेंक कर चला जाता है।देश में स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है लेकिन फिर भी चारों तरफ गंदगी दिखाई देती है इसका कारण हम जैसे सभ्य लोग हैं जिन्हें सफाई तो चाहिए लेकिन जो थोड़ा सा भी कष्ट नहीं कर सकते हैं। ध्यान रखिए की रोटी चाहिए तो मेहनत करनी पड़ेगी।कई ऐसी बड़ी-बड़ी समस्याएं हैं जिनका निराकरण हमारे छोटे से प्रयास से हो सकता है।लेकिन हम स्वार्थी लोग उस पर ध्यान ही नहीं देना चाहते हैं।गली से गुजरते समय यदि आपके गाड़ी की स्पीड थोड़ी धीमी या कम हो तो हो सकता है कि कूड़ा आपके सिर पर अपना स्थान बना ले।
कूड़े को बढ़ाने में सभी लोगों का योगदान बड़ा महत्वपूर्ण है। बस और ट्रेन में बादाम खा कर उसके छिलके इधर-उधर फेंक देते हैं।चाय पीते हैं तो पुरवे को कूड़ेदान में ना फेंक कर लगता है कि उसको फोड़ने में बड़ा मजा आता है। कुछ लोग पुरवे को सड़क पर ही फेंक देते हैं ताकि वाहनों के पहिए से टूट कर वह चारों ओर बिखर सके।
यदि जमीन पर कब्जा करना हो तो कूड़ा बड़ा सहायक होता है। यह मैंने बड़े स्पष्ट रूप से देखा है। गांव मोहल्ले में विवादित जमीन पर लगातार कूड़ा फेंकते फेंकते लोग उस पर अपना अधिकार जमाने लगते हैं।यदि अपने पड़ोसी को परेशान करना हो तो मारपीट ना करके उसके घर के आस पास कूड़ा भी फेंका जा सकता है।वही चाय की दुकान पर बैठे हुए कुछ सभ्य लोग राजनीतिक वाद-विवाद में 4 से 5 घंटे व्यतीत कर देते हैं लेकिन एक छोटा सा सुधार जो वह कर सकते थे उसकी ओर उनका ध्यान ही नहीं जाता। जो चाय पीने के बाद पूरवे को कूड़ेदान में ना फेंक सके उसके राजनीतिक चर्चाओं से देश में कितना सुधार आ जाएगा आप यह भली-भांति समझ सकते हैं।
अगर आप कोई प्लास्टिक या छिलका इधर-उधर फेंकते हैं जहां पर कूड़ा नहीं है तो अवश्य आप कूड़े के ढेर को बढ़ाने का काम करेंगे। इस भ्रम में मत रहिएगा कि मैं आपको कहूंगा कि आगे से इन बातों पर ध्यान दें।। यह हास्य का विषय नहीं है यदि मैं कहूं कि मोटापे का एक कारण यह भी है कि छत पर से लोग इधर-उधर कूड़ा फेंक देते हैं। आप कहेंगे कैसे? तो महोदय घर से थोड़ी दूर निकलिए कूड़े को उसके स्थान पर फेंकीए। इस प्रकार से आपका व्यायाम भी हो जाएगा और शरीर की चर्बी भी थोड़ी घट जाएगी।इस प्रकार स्वच्छ भारत अभियान में आप अपना योगदान भी दे देंगे और थोड़ा व्यक्तिगत लाभ भी ले लेंगे, बात तो समझ में आ ही गई होगी।
सफाई करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है गंदगी ना करना।समस्या उत्पन्न करके उसके समाधान के लिए दौड़ना व्यर्थ है प्रयास ऐसा किया जाए कि समस्या ही ना उत्पन्न हो। यदि आप थोड़ा सचेत हो जाएं तो इस गंदगी की समस्या का निराकरण हम बड़े आसानी से कर सकते हैं। लेकिन सबसे कठिन कार्य है लोगों को सचेत करना।लोग केवल धन और स्वार्थ के लिए सचेत रहते हैं ऐसी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
कूड़े की समस्या हमारे यहां बड़ी विकट होती जा रही है। लोगों की अनदेखी और लापरवाही इसका एक बड़ा कारण है।स्वच्छ भारत अभियान विषय पर आए दिन व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं तथा बड़े-बड़े विद्वान लोग मंच पर चढ़कर घंटों भाषण बाजी करते हैं लेकिन यही लोग स्वच्छता के विषय में सचेत नहीं हैं। व्यक्ति सचेत है तो केवल दूसरों को समझाने में, स्वयं को सुधारने के प्रति वे गंभीर नहीं हैं।आशा करता हूं कि आगे से लोग इस छोटे से विषय पर ध्यान देंगे ताकि देश में बड़ा परिवर्तन लाया जा सके।