मौसम की तरह बदलते हमारे नेतागण

यह राजनीति तो बेवफा प्रेमिका से भी बड़ी बेवफा निकली। न जाने कब जमींदार को चौकीदार बना दे पता ही नहीं चलता है। साइड बदलते ही नेताजी दानव से देवता बन जाते हैं। इसका विपरीत भी होता है।मुझे लगता है जितनी तेज यह लोग पार्टियां बदलते हैं उतनी तेज तो हम लोग कपड़े भी नहीं बदलते हैं।मैं अपने बयान को वापस लेता हूं यह कहने वाले शायद इस बात को नहीं समझते कि धनुष से छूटा हुआ तीर कभी वापस नहीं आता। इतनी तेजी से तो मौसम  में भी परिवर्तन नहीं हो रहा है जितनी तेजी से हमारे माननीय पाला बदल रहे हैं।आदमी कब वफादार से गद्दार बन जाता है पता ही नहीं चलता। राजनीति को कीचड़ बताने वाले स्वयं इसमें डूब जाने के लिए लालायित है। जनता भी इनसे कुछ सीख लेकर नारा लगाती है कि खाओ पियो डट के और वोट डालो हटके।

आजकल के आलीशान होटलों को दूसरा संसद भी कहा जा सकता है। थोड़ा सा अंतर यह है कि हमारे संसद में सांसद महोदय स्वयं आते हैं जबकि इन दूसरे संसद में वे बसों में भरकर कड़ी निगरानी में लाए जाते हैं उनके मोबाइल भी बंद रहते हैं। समझ में नहीं आता जो इतनी आसानी से बिक जाते हैं वे देश क्या चलाएंगे। चुनाव में जीत का यह मतलब नहीं कि सरकार 5 साल चलेगी ही। फायदे में रहने वाला इसे कूटनीति बताता है जबकि विरोधी इसे लोकतंत्र की हत्या करार दे देता है। ‌ लोकतंत्र का कौन कितना सम्मान करता है यह हम सबको पता है।

हमारे देश में राजनीति एक त्यौहार की तरह है। मनोरंजन और पैसा भी प्रदान करती हैं। चाय और पान की दुकानों पर जोरदार चर्चा चल रही हैं।समर्थक और विरोधियों में भीषण वाक् युद्ध चल रहा है। लग रहा है कि देश के भविष्य को लेकर दोनों बहुत सचेत हैं। लेकिन अगले ही मिनट जब उन लोगों ने पान खाकर सड़क पर थूका तो पता चल गया कि वह कितने सजग हैं।

मध्यप्रदेश में जबसे सिंधिया ने पाला बदला है लगता है कमलनाथ शब्द से नाथ हट जाएगा। सिंधिया को कमल के रूप में नया नाथ मिल जाएगा। उधर दूसरी और कमलनाथ अनाथ होने के कगार पर हैं। मुख्यमंत्री सरकार चलाए या विधायकों को पकड़ कर रखें समझ में ही नहीं आता। जिसके हाथ से सत्ता जाएगी वह इसे लोकतंत्र की हत्या करा देगा। लेकिन साहब यह राजनीति है यहां यह कहावत बड़ी सटीक बैठती है कि आप करें तो रासलीला हम करें तो कैरेक्टर ढीला।

इतने लंबे समय तक मध्य प्रदेश में वनवास झेलने के बाद भी बैसाखी के सहारे सत्ता में कॉन्ग्रेस की वापसी होगी यह पता ही नहीं था। कांग्रेस सरकार चलाती कम है बचाने में ज्यादा परेशान रहती है। कांग्रेस के तैयार फसल पर कब भाजपा रूपी ओले गिर जाए पता ही नहीं लगता।

टिकट ना मिलने पर पार्टी के लिए मरने की बात करने वाला कब उसे लात मार कर भाग जाए, यह निश्चित नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *