अशोक के अभिलेखों की भाषा क्या है
अशोक के अभिलेखों की भाषा प्राकृत है। प्राकृत संस्कृत का अपरिष्कृत रूप कहा जा सकता है। जैसे वर्तमान में हम हिंदी और भोजपुरी को ले सकते हैं।उस समय जनसामान्य की भाषा पाली और प्राकृत थी जबकि पढ़े-लिखे उच्च वर्गों की भाषा संस्कृत थी। अशोक के अभिलेख चार लिपियों में हैं जो ग्रीक, आरमाइक, खरोष्ठी एवं ब्राम्ही हैं। ब्राह्मी लिपि से ही देवनागरी और तमिल आदि आधुनिक भारतीय लिपियों का विकास हुआ है।