बिंदुसार कौन था?

बिंदुसार चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र था जो 298 ईसा पूर्व में मगध की राज गद्दी पर बैठा। बिंदुसार को अमित्र घात के नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ होता है शत्रु विनाशक। वायु पुराण में बिंदुसार को भद्रसार(वारिसार) कहा गया है। जैन ग्रंथों में बिंदुसार को सिंहसेन कहा गया है।

इतिहासकार एथिनियस ने लिखा है कि बिंदुसार ने सीरिया के शासक एंटीओकस प्रथम से मदीरा, सूखे अंजीर और एक दार्शनिक भेजने की प्रार्थना की।एंटीओकास ने कहा कि हम मदिरा और सूखे अंजीर तो भेज सकते हैं लेकिन दार्शनिक भेजने की प्रथा हमारे देश में नहीं है।

बिंदुसार के शासनकाल में तक्षशिला में हुए दो विद्रोहों का वर्णन है। इस विद्रोह को दबाने के लिए बिंदुसार ने पहले सुसीम और बाद में अशोक को भेजा।बौद्ध विद्वान तारानाथ के अनुसार बिंदुसार 16 राज्यों का विजेता थाबिंदुसार की मृत्यु कब हुई बिंदुसार की मृत्यु 273 ईसा पूर्व में हुई।

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