ब्रह्म समाज के संस्थापक कौन थे ?
ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय थे। राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना कोलकाता में 20 अगस्त 1828 मे की गई। ब्रह्म समाज भारत का एक सामाजिक धार्मिक आंदोलन था जिसने बंगाल सहित पूरे भारत के पुनर्जागरण युग को प्रभावित किया।
ब्रह्म समाज का एक प्रमुख उद्देश्य विभिन्न प्रकार के धार्मिक आस्थाओं में बटी हुई जनता को एकत्रित करना और समाज में फैली बुराइयों को दूर करना था। ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धांत एक ही ईश्वर की उपासना, मानव के प्रति भाईचारे की भावना तथा सभी धर्मों के प्रति सभी लोगों में श्रद्धा उत्पन्न करना था।
ब्रह्म समाज ने वेद और उपनिषद को आधार मानकर बताया कि ईश्वर एक है ,सभी धर्मों में सत्यता है तथा सामाजिक बुराइयों का धर्म से कोई संबंध नहीं है.
इस समाज ने ही तर्क के आधार पर धर्म की व्याख्या करने का विचार भारतीय समाज को प्रदान किया। ब्रह्म समाज मूलतः भारतीय था और इसका मूल आधार उपनिषदों का अद्वैतवाद था। ब्रह्म समाज की बैठकों में वेदो तथा उपनिषदों के मंत्रों का पाठ हुआ करता था।
राजा राममोहन राय ने धर्म के नाम पर व्याप्त आडंबरों का विरोध। राजा राममोहन के प्रयासों के फलस्वरूप ही 1829 में लॉर्ड विलियम बेंटिक ने सती प्रथा को रोकने हेतु कानून बनाया।