कलचुरी वंश का संस्थापक कौन था

कलचुरी वंश का संस्थापक कोकल्ल प्रथम था। इस वंश की स्थापना लगभग 845 में की गई थी जिसकी राजधानी त्रिपुरी थी। कलचुरी प्राचीन भारत का विख्यात त्रिकूटा आभीर राजवंश था। कलचुरी नाम से भारत में 2 राजवंश थे – पहला उत्तरी कलचुरी जो कि मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के क्षेत्रों पर राज्य किया तथा दूसरा दक्षिणी कलचुरी जिसने वर्तमान कर्नाटक के क्षेत्रों पर राज्य किया।

कलचुरी वंश के शासक त्रिकूटक संवत का प्रयोग करते हैं। कोकल्ल ने प्रतिहार शासक भोज एवं उसके सामंतों को युद्ध में हराया था। उसने तुरुष्क, वंग, कोकण पर भी अधिकार कर लिया था। कोकल्ल प्रथम के 18 पुत्रों में से उसका बड़ा पुत्र शंकरगण अगला कलचुरी शासक बना था। कोकल्ल के पुत्र कर्ण देव ने लगभग सन् 1060 ई. मे मालवा के राजा भोज को पराजित कर दिया, परंतु बाद में कीर्तिवर्मा चंदेल ने उसे हरा दिया जिसके कारण कलचुरी की शक्ति खत्म हो गई और सन् 1181 तक  इस वंश का पतन हो गया।

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