कृष्णदेवराय विजयनगर के शासक कब बने
कृष्णदेवराय 1509 में विजयनगर साम्राज्य के शासक बने। कृष्णदेव राय विजय नगर के सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली राजा माने जाते हैं। कृष्णदेव राय का संबंध तुलुव वंश से है।
तुलुव वंश की स्थापना 1505 में वीर नरसिंह ने की थी। कृष्णदेव राय वीर नरसिंह के छोटे भाई थे। कृष्णदेव राय बाबर के समकालीन थे।बाबर ने अपनी आत्मकथा में कृष्णदेवराय को तत्कालीन भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया है।
कृष्णदेव राय विजयनगर के पहले शासक थे जिन्होंने पुर्तगालियों के साथ संधि की और व्यापारिक संबंध प्रारंभ किया।पुर्तगाली यात्री डोमिंगो पायस कृष्णदेव राय के समय विजयनगर के भ्रमण पर आया था।
कृष्णदेवराय कला और साहित्य के बहुत बड़े संरक्षक थे।उन्होंने विजय भवन, हजारा राम मंदिर, विट्ठल नाथ स्वामी मंदिर तथा नागलपुर नगर आदि का निर्माण करवाया। कृष्णदेव राय ने तेलुगू मे अमुक्तमाल्यद् तथा संस्कृत में जांबवती कल्याणम् की रचना की।
कृष्णदेव राय के राज दरबार में आठ विद्वान रहते थे जिन्हें अष्ट दिग्गज कहा जाता है। उनमें से एक प्रमुख विद्वान तेनाली रामा थे जिन्हें दक्षिण भारत का बीरबल भी कहा जाता है।1529 में कृष्णदेवराय की मृत्यु हो गई।
कृष्णदेव राय ने आंध्रभोज, आंध्र पितामह तथा अभिनवभोज की उपाधि धारण की थी.