मुद्राराक्षस नाटक की रचना किसने की ?

मुद्राराक्षस नाटक की रचना विशाखदत्त ने की है यह नाटक चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य से संबंधित है। विशाखदत्त के दूसरे नाटक देवीचंद्रगुप्तम में चंद्रगुप्त के हाथों शकराज एवं राम गुप्त के वध तथा ध्रुवदेवी के साथ उसके विवाह का वर्णन मिलता है।

कश्मीर के इतिहास का ज्ञान कराने वाला ग्रन्थ

कालिदास के अभिज्ञानशाकुंतलम का सर्वप्रथम अंग्रेजी अनुवाद किसने किया

संस्कृत व्याकरण की प्रथम पुस्तक कौन सी है

वाग्भट ने अष्टांग हृदयम नामक आयुर्वेद ग्रंथ की रचना छठी शताब्दी में गुप्त काल में की थी। प्रसिद्ध आयुर्वेद विद्वान एवं चिकित्सक धनवंतरी चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार में रहते थे।पाल्काप्य नामक पशु चिकित्सक ने हस्त्यायुर्वेद नामक ग्रंथ की रचना की जो हाथियों के चिकित्सा से संबंधित था।भारतीय आयुर्वेद चिकित्सकों को शल्यचिकित्सा का भी ज्ञान था।

कालिदास संस्कृत साहित्य के सबसे उल्लेखनीय रचनाकार है। कालिदास कवि और नाटककार दोनों थे। कुमारसंभव, रघुवंश ऋतुसंहार तथा मेघदूत कालिदास के काव्य ग्रंथ हैं। कालिदास गुप्तकालीन रचनाकार है। मालविकाग्निमित्रम् नाटक कालिदास ने लिखा है। यह नाटक सुंग वंश से संबंधित है। कालिदास का अभिज्ञान शाकुंतलम् साहित्य और नाट्य कला दोनों के दृष्टिकोण से एक उत्कृष्ट रचना है। दुष्यंत और शकुंतला के मिलन का वर्णन इस नाटक में किया गया है।कालिदास के दूसरे नाटक विक्रमोर्वशीयम् में उर्वशी और राजा विक्रम की कथा का वर्णन है। गुप्तकालीन नाटकों की सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इस समय उच्च सामाजिक स्तर के पात्र संस्कृत बोलते थे जबकि निम्न सामाजिक स्तर के पात्र तथा स्त्रियां प्राकृत भाषा का प्रयोग करते थे।

मृच्छकटिकम् में गुप्त काल का एक नाटक है जिसकी रचना शूद्रक ने की है। राजकीय जीवन और राज महलों से विपरीत इस नाटक का नायक एक दरिद्र ब्राह्मण चारुदत्त है तथा नायिका वसंतसेना एक गणिका है। यह नाटक अन्य गुप्तकालीन नाटकों में एक अपवाद है।इसमें राजा, ब्राम्हण, व्यापारी वेश्या, तथा दास आदि सभी सामाजिक वर्गों का वर्णन है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह नाटक अत्यंत महत्वपूर्ण है

गुप्त काल में बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन रसायन शास्त्र के ज्ञाता थे नागार्जुन ने प्रमाणित किया कि खनिज पदार्थों के रासायनिक प्रयोग से रोगों की चिकित्सा की जा सकती है।

समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिषेण ने प्रयाग प्रशस्ति की रचना करवाई थी। प्रयाग स्तंभ लेख पर समुद्रगुप्त के विजयों का वर्णन है। प्रयाग प्रशस्ति का लेख गद्य पद्य मिश्रित शैली में है।

वर्धन वंश के शासक हर्षवर्धन(606-645) ने नागानंद, रत्नावली तथा प्रियदर्शिका नामक तीन ग्रंथों की रचना की।
हर्षवर्धन के राज्य कवि बाणभट्ट ने कादंबरी की रचना की है। बाणभट्ट रचित कादंबरी संस्कृत गद्य की उत्कृष्ट रचना है। इस ग्रंथ के वाक्य बहुत लंबे हैं।

अमर सिंह ने अमरकोश की रचना की है जो संस्कृत का एक प्रसिद्ध शब्दकोश है। अमर सिंह चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक था। अमरकोश ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अधिक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।अमरकोश ग्रन्थ में गुप्त काल में कताई, बुनाई, हथकरघा आदि का उल्लेख हुआ है।

वात्सायन ने कामसूत्र की रचना गुप्त काल में की थी। इस ग्रंथ में काम जीवन के समस्त पक्षों सामाजिक, वैयक्तिक, शारीरिक मानसिक आदि का वैज्ञानिक ढंग से विवेचन किया गया है। इस ग्रंथ में सुखी संपन्न नागरिक के दैनिक जीवन का वर्णन भी किया गया है। इस ग्रंथ के अनुसार उस समय कवि सम्मेलनों का आयोजन होता था। वीणावादन संगीत आदि में दक्षता को आवश्यक बताया गया है
युवाओं को प्रणयकला की शिक्षा देने के लिए काम सूत्र की रचना की गई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *