प्रथम आंग्ल बर्मा युद्ध कब हुआ था

प्रथम आंग्ल  बर्मा (म्यांमार) युद्ध 1824 में प्रारंभ हुआ तथा 1826 तक चला।
बर्मा और ब्रिटिश भारत के बीच युद्ध सीमा संबंधी झड़पों से आरंभ हुआ था। बर्मा के जंगली संसाधनों पर ब्रिटिश व्यापारियों की निगाहें बहुत पहले से लगी थी और वे उसका दोहन करना चाहते थे तथा वर्मा की जनता को ब्रिटेन अपने यहां का औद्योगिक माल निर्यात करने के लिए भी बेचैन था।

1785 में बर्मा ने अराकान और 1813 में मणिपुर के सीमावर्ती राज्यों पर अधिकार कर लिया और बर्मा की सीमा ब्रिटिश भारत की सीमा से मिल गयी। 1822 में बर्मियों ने असम को भी जीत लिया इसके बाद दोनों के मध्य युद्ध होना तय हो गया था।

1824 में जब ब्रिटिश भारत और बर्मा के मध्य युद्ध आरंभ हुआ तो प्रारंभ में कुछ समय तक अंग्रेजों की हार हुई किंतु अंततः अंग्रेजों ने असम, कछार, मणिपुर और अराकान से बर्मियों को बाहर खदेड़ दिया। मई 1824 में ब्रिटिश सेना ने समुद्र के रास्ते रंगून पर अधिकार कर लिया।

प्रथम बर्मा युद्ध को समाप्त करने के लिए 1826 में ब्रिटिश भारत और बर्मा के मध्य यांडबू की संधि हुई।संधि की शर्तों के तहत अंग्रेजों ने बर्मा से युद्ध के हर्जाने के रूप में एक करोड़ रुपए लिए तथा बर्मा  को असम, कछार और जयंतिया पर सारे दावे छोड़ने को विवश किया। संधि के तहत बर्मा की राजधानी अवा में एक ब्रिटिश रेजिडेंट  को रखा गया। इस प्रकार प्रथम बर्मा युद्ध के द्वारा अंग्रेजों ने बर्मा को उसके अधिकांश समुद्र तट से वंचित कर दिया और बर्मा में अपनी स्थिति मजबूत कर ली।

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